C190 – हिंसा और उत्पीड़न समझौता वायदा करता है कि वैश्विक कार्यस्थल हिंसा और उत्पीड़न मुक्त होंगे और यह समझौता 21 जून 2019 को आईएलओ शताब्दी वर्ष के दौरान अस्तित्व में आया। यह कन्वेंशन तब जीता गया था जब हमें नहीं पता था कि हम COVID 19 के संकट में घिरेंगे, स्वास्थ्य और आर्थिक संकट हमारे कार्यस्थल की दुनिया को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। इस महामारी ने कार्यस्थल में पहले से मौजूद भेदभाव और हिंसा को और तीव्र कर दिया है। अधिकारहीन, अल्पसंख्यक और अनौपचारिक तथा प्रवासी श्रमिकों जैसे कमजोर समूहों को वायरस के प्रतिकूल प्रभाव का सामना करना पड़ रहा है, जो इस समावेशी समझौते के माध्यम से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बना रहा है।

आईएलओ कन्वेंशन 190 सभी श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न को संबोधित करता है जिसमें लिंग आधारित हिंसा भी शामिल है।

कन्वेंशन 190, इस संकट के दौरान और उसके बाद भी, हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ सभी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने का एक साधन है जिसमें लिंग आधारित हिंसा भी शामिल है।

कन्वेंशन 190 सभी क्षेत्रों पर लागू होता है, चाहे वह निजी हो या सार्वजनिक, औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह की अर्थव्यवस्था में, और चाहे शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में। (अनुच्छेद 2)

हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महिला कर्मचारी – जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में अधिक प्रतिनिधित्व करती हैं, काम की अनिश्चितता और जोखिम से झूझती है, विशेष रूप से परिवहन जैसे पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में – उन्हें महामारी के विशिष्ट और अतिरिक्त प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। वे अक्सर ग्राहक-सामना करने वाली भूमिकाओं में अग्रिम पंक्ति में काम कर रही हैं जैसे  टिकट विक्रेता, केबिन क्रू, सफाई कर्मचारी, संवाहक और हवाई अड्डे पर श्रमिक, जो कि महामारी के दौरान हिंसा, स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों में हो रही वृद्धि की चपेट में हैं।

कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न

घरेलू हिंसा की घटनाओं और रिपोर्ट में वैश्विक उछाल आया है। लॉकडाउन के कारण कईं देशों के भौतिक कार्यस्थल पर रातों-रात परिवर्तन आया है, इसी वजह से बहुत से लोग अपने अत्याचारी के साथ घर पर रहने के लिए विवश हो गए हैं। 

महामारी के दौरान घरेलू हिंसा में नाटकीय वृद्धि के कारण को संबोधित करते हुए, डीवी@वर्क नेटवर्क से बार्ब मैकक्वेरी कहते हैं कि  ‘अलगाव पहले से ही घरेलू हिंसा की एक स्थापित रणनीति है जो  महामारी के सन्दर्भ से बाहर है।

हाल ही में भारत में परिवहन यूनियन संघों के नेतृत्व में राष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, जिसमें 15,561 लोगों ने घरेलू हिंसा के अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए, एक प्रतिक्रिया जो बार बार गूँज रही थी ‘मेरा कार्यस्थल ही एकमात्र स्थान था, जिसने मुझे सयमित रखा और जब मैंने  घरेलू हिंसा का सामना किया तो मुझे सामना करने में मदद मिली।

आईएलओ कन्वेंशन 190 घरेलू हिंसा को कार्यस्थल के मुद्दे के रूप में मान्यता देता है, और बताता है कि नियोक्ता, सरकारें और यूनियन को कार्यस्थल में घरेलू हिंसा के प्रभावों को पहचानना और कम करने के लिए उचित उपायों को कार्यरत्त करना चाहिए। (C190 प्रस्ताव, अनुच्छेद 10 (एफ), सिफारिश सिद्धांत, III (18)।

डीवी@वर्क नेटवर्क वेबसाइट पर, महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के लिए कमजोर श्रमिकों को नियोक्ता कैसे समर्थन दे सकते हैं – यहां पढ़ें

कार्यस्थल पर हिंसा का खतरा बढ़ा पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पहले से ही कम था और इस महामारी के दौरान  महिलाएं अपने कार्यस्थल में ज्यादा अलगाव महसूस कर रही हैं। इसके प्रमुख कारण – अस्थायी या स्थायी कर्मचारियों की भागीदारी में भारी कमी या/और  सीमा बंद होने के कारण लाखों श्रमिक फंस गए हैं। 

उदाहरण के लिए – महिलाओं सहित 200,000 से अधिक समुद्री नाविक, जिन्होंने दुनिया के जहाजों पर सवार अपने अनुबंध समाप्त कर लिए हैं और वे घर जाना चाहते हैं। परन्तु कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी प्रतिबंधों के चलते यात्रा और पारगमन पर रोक की वजह से वह घर नहीं पहुँच सके। संकट के समय में इस अलगाव ने महिलाओं के लिए कार्यस्थल में हिंसा का जोखिम बहुत बढ़ा दिया है। 

बढ़ते जोखिम के साथ, वायरस के संक्रमण का खतरा झेलते हैं शहरी परिवहन में ग्राहक-सामना करने वाले कर्मचारी। अश्वेत, प्रवासी या विकलांग महिलाएं परस्पर विरोधी प्रभाव का शिकार होती हैं, एक घातक उदाहरण तब हुआ जब लंदन में अश्वेत महिला रेलकर्मी की मौत हो गई जब काम  के दौरान एक व्यक्ति ने उन पर थूका और कहा कि वह वायरस से संक्रमित है ।

आईएलओ कन्वेंशन 190 कार्यस्थल में हिंसा और उत्पीड़न पर लागू होता है, और लागू होता है उन कार्यों में जो काम के साथ जुड़े हों या काम से ही उत्पन्न हों। इसमें  नियोक्ता द्वारा प्रदान आवास एवं आवागमन शामिल है। अनुच्छेद 3 (ए), (ई), (एफ), कार्यस्थल संकट को हिंसा और उत्पीड़न के ढांचे में संबोधित करने के लिए कर्मचारियों को  सुसज्जित करता है।

आपकी कर्यस्थल की दुनिया हर दिन नए सिरे से परिभाषित हो रही है।

कार्य संबंधित संचारसूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जो पहले ही कार्यस्थल का हिस्सा है – इसका उपयोग महामारी के कारण बढ़ गया है। ऑनलाइन मीटिंग, डिजिटलाइजेशन / ई-ऑफिस सहित काम करने के तरीकों में तेजी से बदलाव आया है, और साथ ही महामारी के दौरान दूरस्थ कार्य करने में चुनौतियों  का सामना और अनुकूल होना। साइबर (ऑनलाइन ) दादागिरी  और ट्रोलिंग ( किसी को परेशान करने या उनसे गुस्सा प्रतिक्रिया प्राप्त करने के उद्देश्य से एक जानबूझकर अपमानजनक या उत्तेजक ऑनलाइन पोस्ट ) सहित काम करने के इन नए तरीकों से उत्पीड़न और हिंसा का खतरा बढ़ गया है।

C190 में काम के दौरान होने वाली कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न शामिल है, और कोई भी काम जो कार्यस्थल की कार्यप्रणाली  के साथ जुड़ा हुआ है या उत्पन्न होता है जैसे कार्य सम्बंधित संचार, सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों की प्रणाली; (कन्वेंशन 190, अनुच्छेद 3 डी )

व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा परिवहन उद्योग के लिंग-पृथक प्रकृति के परिणामस्वरूप,  महिलाओं की संख्या इस महामारी में ग्राहक-सामना और सफाई कार्यों में अधिक है, फलतः संक्रमण और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का बढ़ा हुआ जोखिम। इसमें अपर्याप्त और उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) की कमी के साथ, जोखिम बढ़ गया है, और ग्राहक की चिंताओं, कार्यस्थल पर घातक जोखिमों के अनुभवों को संसाधित करने के लिए कोई मनोवैज्ञानिक समर्थन मौजूद नहीं है, परिवार के लिए जोखिम के कारण घर पर बढ़ा तनाव, अस्थायी कर्मचारियों में ज़्यादा महिलाओं का बहुमत, इसका मतलब यह है कि महिला परिवहन कर्मचारी कोरोनोवायरस संकट के नकारात्मक प्रभावों को ज्यादा और भुगत रही हैं।

“हमें पीपीई किट का आभाव है और वायरस घर ले जाने से डर लगता है, इसलिए हम अपने बच्चों को हमसे दूर रखने की कोशिश करते हैं। इन चुनौतियों के साथ भी, हम सभी के लिए स्वच्छता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में गर्व महसूस करते हैं। ” – रेलवे कर्मचारी, भारत

कन्वेंशन C190 हिंसा और उत्पीड़न और सम्बंधित मानसिक-सामाजिक जोखिमों को स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम के रूप में मान्यता देता है और बताता है कि प्रतिनिधि नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों के परामर्श से सरकारों द्वारा कदम उठाए जाने चाहिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हिंसा और उत्पीड़न प्रासंगिक राष्ट्रीय नीतियों में एकीकृत हो, जिसमें मौजूदा व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य उपायों का विस्तार या अनुकूलन हो। (कन्वेंशन 190 – अनुच्छेद 9,11,12)

महिला कर्मचारियों की दृश्यता और कोविड-19 प्रतिक्रिया में उनका शामिल होना

जैसा कि हम जानते हैं कि कोविड-19  का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा और सबसे कमजोर समुदाय पहले प्रभावित होंगे, ऐसे समुदाय ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

लिंग और पुरुष-प्रधान उद्योग, जिसमें ट्रांसपोर्ट शामिल है, प्रोफेसर टेसा राइट द्वारा शोध के चलते, हम जानते हैं कि महिला कर्मचारियों की स्थिति में सुधार की रणनीति तब सफल होती है, जब सकारात्मक लिंग कार्यवाही मुख्य परियोजना उद्देश्यों और उचित परिश्रम का हिस्सा बनती है, सार्वजनिक वित्त से जुड़े विशेष अवसर और निजी वित्त का इस्तेमाल सार्वजनिक अवसंरचना और सेवा वितरण के लिए हो।

जैसा कि हम महामारी से अपना मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, सरकारों के पास अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में आवश्यक जिम्मेदारी होती है। सार्वजनिक और निजी पूँजी के माध्यम से पर्याप्त आर्थिक प्रोत्साहन के साथ, यह महत्वपूर्ण है कि लैंगिक न्याय मुख्य निवेश मानदंडों के भीतर समावेशित हो।  राहत राशि, आर्थिक नीतियों, बेरोजगारी के लाभों को लैंगिक दृष्टि के माध्यम से समझने की आवश्यकता है ताकि इसे वास्तव में समावेशी बनाया जा सके। इस प्रकार यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि लैंगिक नजरिया कोविड-19 प्रतिक्रिया में इस्तेमाल हो जिसमें लिंग प्रभाव आकलन भी शामिल हो।

सिफारिश संख्या 206 डेटा के महत्व को पहचानती है और राष्ट्रों से आह्वान करती है कि वह आंकड़ों को एकत्रित और प्रकाशित करने के लिए प्रयास करे, यह आंकड़े लिंग आधार तथा हिंसा के विभिन्न रूपों और उत्पीड़न का ब्यौरा लिए हों, आर्थिक गतिविधि का क्षेत्र, साथ ही समुदायों की विशेस्ताएं जो  नाज़ुक परिस्थितियों के दौरान प्रकट होती हैं। कार्यस्थल में हिंसा और उत्पीड़न को रोकने और संबोधित करने के लिए नीति प्रतिक्रियाओं की सूचना देना और निगरानी रखना आवश्यक है।

(पैरा. 22 R206)

कन्वेंशन 190 पथ प्रदर्शित करता है एक उचित, सुरक्षित कार्य वातावरण के लिए, सभी कर्मचारियों के लिए समानता, जो व्यवसायों की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है जैसा कि आईएलओ ने प्रकाश डालते हुए कहा है  ‘हिंसा और उत्पीड़न के साथ नहीं जमती स्थायी उद्योगों की तरक्की तथा काम के संगठन, कार्यस्थल संबंध, कर्मचारी जुड़ाव, प्रतिष्ठा और उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।’ (कन्वेंशन 190 प्रस्तावना)। इसलिए  यह कन्वेंशन वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए केंद्रीय है। 

महिला परिवहन कर्मचारियों के अधिकारों और कोविड-19 के लिए आईटीएफ की मांग के बारे में और जानें

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